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सीबीजी (सतत) के कार्यान्वयन की समीक्षा

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: रमेश बिधूड़ी) ने 21 दिसंबर, 2022 को ‘सीबीजी (सतत) के कार्यान्वयन की समीक्षा’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। अक्टूबर 2018 में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने सस्टेनेबल ऑल्टरनेटिव टुवर्ड्स एफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन (सतत) पहल को शुरू किया था। इस पहल के तहत परिवहन और घरेलू क्षेत्रों में कंप्रेस्ड बायो गैस के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाता है। कृषि अवशेषों, मवेशियों के गोबर और म्युनिसिपल ठोस कचरे जैसे स्रोतों से सीबीजी का उत्पादन होता है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • सीबीजी संयंत्रों की स्थापना: कमिटी ने कहा कि 2023-24 तक 5,000 सीबीजी संयंत्र लगाने का लक्ष्य था लेकिन अब तक सिर्फ 40 संयंत्र लगाए गए हैं। योजना निवेशकों/उद्यमियों को सीबीजी संयंत्र लगाने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर पाई। कमिटी ने सुझाव दिया कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को योजना के तहत कचरे से ऊर्जा उत्पादन की मौजूदा पहल के स्थान पर प्राकृतिक गैस को घरेलू स्तर पर, तथा हरित एवं स्वच्छ रूप में उत्पादन की पहल करनी चाहिए।

  • कमिटी ने कहा कि तेल और गैस मार्केटिंग कंपनियों (ओजीएमसीज़) ने उद्यमियों को सीबीजी संयंत्र लगाने के लिए 1 जून, 2022 तक 3,263 आशय पत्र जारी किए हैं। सिर्फ 35 सीबीजी संयंत्रों को अब तक कमीशन किया गया है। उसी उद्यमी/निवेशक को कई आशय पत्र जारी किए गए हैं। हालांकि बैंक कई आशय पत्र वाले उद्यमियों को एक से ज्यादा प्रॉजेक्ट्स के लिए ऋण नहीं दे रहे। कमिटी ने कहा कि कई-कई पत्र इसलिए जारी किए गए हैं ताकि दिखाया जा सके कि योजना के लक्ष्य पूरे हो जाएंगे। इसे पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय/ओजीएमसीज़ के साथ धोखाधड़ी माना गया। जारी किए गए पत्रों की समीक्षा करने और नए पत्रों को जारी करने के लिए दिशानिर्देश बनाने हेतु उसने एक समिति के गठन का सुझाव दिया।

  • सिंगल विंडो क्लीयरेंस: कमिटी ने कहा कि सीबीजी संयंत्रों को केंद्र, राज्यों और स्थानीय प्रशासन से विभिन्न मंजूरियों की जरूरत होती है। क्लीयरेंस और मंजूरियां देने में कई एजेंसियां जुड़ी होती हैं, इससे योजना के कार्यान्वयन में देरी होती है। कमिटी ने कहा कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को ब्लैंकेट अप्रूवल जारी करने पर विचार करना चाहिए जिसमें वार्षिक या अर्ध वार्षिक समाधान तंत्र हो। राज्य/जिला स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर अप्रूवल्स कमिटी भी क्लीयरेंस को फास्ट ट्रैक कर सकती है। उसने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह मंजूरियों और क्लीयरेंस में तेजी लाने के लिए एक सिंगल-विंडो मैकेनिज्म विकसित करे।

  • वित्तीय सहायता: नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने सीबीजी प्रॉजेक्ट्स सहित नवीन एवं अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं की मदद के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता योजना को लागू किया है। योजना अप्रैल 2021 से बंद है। कमिटी ने सुझाव दिया कि इस योजना को फिर से शुरू किया जाए। उसने यह सुझाव भी दिया कि सीबीजी संयंत्रों के लिए कैपेक्स (पूंजीगत व्यय) आधारित प्रोत्साहन की बजाय उत्पादन आधारित प्रोत्साहन दिया जाए। इसके तहत संयंत्र लगाने की बजाय संयंत्र चलाने और गैस उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाए। उसने यह सुझाव भी दिया कि तेल पीएसयूज़ जिनकी बैलेंस शीट दुरुस्त है और जो लाभ कमा रही है, उन्हें बायो-ईंधन और स्वच्छ ऊर्जा प्रॉजेक्ट्स को वित्त पोषित करने के लिए वित्तीय संस्थान स्थापित करने चाहिए। कमिटी ने सुझाव दिया कि क्षेत्र के विकास के लिए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत बायो फ्यूल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया जाए।

  • मूल्य निर्धारण: सीबीजी संयंत्रों में वापसी की आंतरिक दर बहुत कम होती है। सीबीजी का मूल्य निर्धारण मार्केटिंग कंपनियों के लिए फायदेमंद होना चाहिए। इसके लिए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने मार्केटिंग कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सीबीजी की कीमतों को सीएनजी के साथ जोड़ दिया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि विभिन्न प्रकार के फीडस्टॉक की लागत के हिसाब से सीबीजी का मूल्य निर्धारण किया जाना चाहिए। उसने सुझाव दिया कि मंत्रालय को सीबीजी के उपयुक्त बाजार मूल्य तय करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने चाहिए। इससे सीबीजी संयंत्रों की आर्थिक व्यावहारिकता सुनिश्चित होगी, प्राइस डिस्कवरी में मदद मिलेगी और दीर्घकालीन निवेश योजनाओं को बढ़ावा मिलेगा।

  • फीडस्टॉक के साथ समस्याएं: सीबीजी को उत्पादित करने के लिए फीडस्टॉक की उपलब्धता अलग-अलग है। जबकि म्युनिसिपल ठोस कचरा और गन्ना प्रेस मड साल में अधिकांश समय के लिए उपलब्ध होते हैं, कृषि अवशेष साल में केवल कुछ महीनों के लिए ही उपलब्ध होता है। इसके लिए कृषि कचरे का इस्तेमाल करने वाले संयंत्रों को बड़े भूमि पार्सल्स में निवेश करना चाहिए जहां ऐसे कचरे को रखा जा सके। कमिटी ने सुझाव दिया कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सीबीजी प्लांट लगाने के लिए म्युनिसिपल ठोस कचरे और चीनी प्रेस मड को वरीयता देनी चाहिए।

  • कार्बन ट्रेडिंग: कमिटी ने सुझाव दिया कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय को एक ऐसी व्यवस्था तैयार करनी चाहिए जो इस बात का आकलन करे कि अगर सीबीजी संयंत्रों ने कचरे को प्रोसेस नहीं किया होता तो कार्बन उत्सर्जन की कितनी मात्रा होती। सीबीजी संयंत्रों के कार्बन क्रेडिट्स को उनकी वित्तीय व्यावहारिकता में सुधार के लिए मुद्रीकृत किया जा सकता है।

  • नेशनल गैस ग्रिड: कमिटी ने सुझाव दिया कि सीबीजी को नेशनल गैस ग्रिड के साथ सिंक्रोनाइज किया जाना चाहिए। गेल (भारत) लिमिटेड सीबीजी ब्लेंडेड घरेलू गैस की आपूर्ति के लिए फ्रेमवर्क बनाने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे रहा है। उसने सुझाव दिया कि घरेगू गैस आपूर्ति में सीबीजी की ब्लेंडिंग के लिए अल्पावधि और दीर्घावधि का कोटा होना चाहिए।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (“पीआरएस”) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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