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कर्मचारी राज्य बीमा निगम

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • श्रम, कपड़ा और कौशल विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री भर्तृहरि महताब) ने 20 सितंबर, 2023 को 'कर्मचारी राज्य बीमा निगम- ईएसआई योजना के तहत एप्लिकेबिलिटी और लाभ, ईएसआई अस्पतालों का कामकाज और कॉर्पस फंड का प्रबंधन' पर अपनी रिपोर्ट पेश की।
  • कर्मचारी राज्य बीमा एक्ट, 1948 नियोक्ताओं को यह आदेश देता है कि वह बीमित व्यक्तियों की चिकित्सा देखभाल में योगदान करे। यह कानून न्यूनतम 10 व्यक्तियों को रोजगार देने वाले कारखानों पर लागू होता है। केंद्र और राज्य सरकारें दुकानों, होटलों, सिनेमाघरों, न्यूजपेपर इस्टैबलिशमेंट्स और पोर्ट ट्रस्ट्स को भी उसके दायरे में शामिल करती हैं। यह कानून कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) और कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ईएसआईएस/ईएसआई योजना) की स्थापना करता है। प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
  • ईएसआई योजना के तहत कवरेज के लिए वेतन सीमा में संशोधन: कमिटी ने कहा कि अंशदान का भुगतान करने से छूट वाली वेतन सीमा पिछले सात वर्षों से अपरिवर्तनीय बनी हुई है, इसके बावजूद कि समय के साथ वेतन में बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान में 176 रुपए प्रति दिन की वेतन सीमा पर छूट लागू है, जो काफी कम है। कमिटी ने सुझाव दिया कि श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को कवरेज, अंशदान और वेतन की पात्रता से संबंधित प्रावधानों में संशोधन करना चाहिए। उसने इन संशोधनों के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का भी सुझाव दिया।
  • योजना के कवरेज का विस्तार: ईएसआई एक्ट, 1948 को सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 में शामिल किया गया है। संहिता को अभी लागू किया जाना है और अंतिम नियमों को अधिसूचित किया जाना बाकी है। कमिटी ने कहा कि संहिता के कार्यान्वयन के साथ ईएसआई के कवरेज में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) 10 से कम व्यक्तियों वाले इस्टैबलिशमेंट्स का स्वैच्छिक कवरेज, (ii) खतरनाक व्यवसाय में लगे इस्टैबलिशमेंट्स के लिए अनिवार्य कवरेज, और (iii) असंगठित श्रमिकों, गिग वर्कर्स और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स के लिए विशेष योजनाएं बनाने हेतु प्रावधान। कमिटी ने कहा कि मंत्रालय और ईएसआईसी कवेरज बढ़ाने के लिए बहुत तत्पर नहीं हैं। उसने सुझाव दिया कि बीमा के पात्र व्यक्तियों की पहचान करने के लिए व्यापक सर्वेक्षण, डेटा कलेक्शन और आधार नामांकन का उपयोग किया जाए ताकि संहिता को सुचारू रूप से लागू किया जा सके।
  • नियोक्ताओं के हिस्से का भुगतान न होना: एक्ट के तहत नियोक्ताओं को हर छह महीने में ईएसआईसी में अपना अंशदान देना होता है। कमिटी ने कहा कि दंडात्मक प्रावधानों के बावजूद कुछ नियोक्ता अंशदान नहीं देते। ऐसे मामलों में कर्मचारियों को अपना अंशदान देने के बावजूद नुकसान उठाना पड़ता है। कमिटी ने मंत्रालय को निगरानी तंत्र को मजबूत करने और सख्ती से दंडात्मक प्रावधानों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का सुझाव दिया।
  • ईएसआई मेडिकल केंद्रों का अपर्याप्त कामकाज: लाभार्थियों के लिए मेडिकल सेवाएं ईएसआई अस्पतालों, डिस्पेंसरीज़, डिस्पेंसरीज़ कम ब्रांच ऑफिसेज़, बीमित मेडिकल प्रैक्टीशनर (आईएमपी) क्लीनिक्स और इंप्लॉयर युटिलाइजेशन डिस्पेंसरीज़ (ईयूडी) के माध्यम से प्रदान की जाती हैं। ईयूडी वहां स्थापित किए जाते हैं जहां नियोक्ता अपना इंफ्रास्ट्रक्टर पेश करते हैं, और ईएसआईसी उन्हें मुआवजा देता है। कमिटी ने कहा कि: (i) 2019 में स्वीकृत 39 ईएसआई अस्पतालों में से केवल दो अस्पताल पूरे हुए और चालू हुए, (ii) आईएमपी को प्रति बीमित व्यक्ति प्रति वर्ष भुगतान की जाने वाली फीस अपर्याप्त है, और (iii) 16 लाख इस्टैबलिशमेंट्स में से सिर्फ चार ईयूडी को मंजूरी दी गई है। उसने सुझाव दिया कि मंत्रालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अस्पतालों का संचालन समयबद्ध तरीके से हो। आईएमपी की फीस बढ़ाई जाए। अपेक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर वाले नियोक्ताओं को ईयूडी स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
  • ईएसआई अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी: कमिटी ने कहा कि जुलाई 2023 तक ईएसआईसी द्वारा संचालित 51 अस्पतालों में डॉक्टरों के 35% पद खाली हैं। इसी तरह मार्च 2023 तक राज्य सरकारों द्वारा संचालित 109 अस्पतालों में मेडिकल स्टाफ के 35% पद खाली हैं। मंत्रालय ने बताया है कि कर्मचारियों और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी अस्पतालों के कामकाज में रुकावट पैदा करती है। कमिटी ने मंत्रालय को भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए जहां भी आवश्यक हो, भर्ती नियमों में संशोधन और पुनर्गठन करने का सुझाव दिया।
  • कॉर्पस फंड का प्रबंधन: कमिटी ने कहा कि कर्मचारी राज्य बीमा निगम सरकारी प्रतिभूतियों और बैंक सावधि जमा में जो धनराशि निवेश करता है, उनसे मिलने वाले ब्याज में लगातार गिरावट हो रही है। इसके अतिरिक्त मंत्रालय ने कमिटी को बताया है कि इक्विटी और संबंधित निवेश में विविध निवेश विकल्पों का प्रस्ताव है। कमिटी ने सुझाव दिया कि कॉर्पस में निवेश के लिए अधिक उत्पादक रणनीति विकसित करने हेतु निवेश नीति की वार्षिक समीक्षा की जाए।      

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (“पीआरएस”) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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