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भारत के लाभ के लिए स्टार्टअप्स का इकोसिस्टम

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • वाणिज्य संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी) ने 10 अगस्त, 2023 को ‘भारत के लाभ के लिए स्टार्टअप्स का इकोसिस्टम’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: 

  • वित्त पोषण तक पहुंच: स्टार्टअप्स में निवेश की प्रकृति चक्रीय, यानी साइक्लिकल है। उसमें कई वजहों से मार्केट करेक्शंस होते हैं जैसे माइक्रोइकोनॉमिक स्थितियां, निवेशक की भावनाएं और मौद्रिक नीतियां। कमिटी ने गौर किया कि ऐसे समय में अच्छे स्टार्टअप की मदद के लिए अतिरिक्त धनराशि का एक पूल बनाया जाना चाहिए। उसने सुझाव दिया कि उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) को उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए एक मूल्यांकन करना चाहिए जिन्हें अतिरिक्त धन की आवश्यकता है। कमिटी ने निजी निवेशकों से स्टार्टअप्स को मिलने वाली धनराशि की निगरानी के लिए सरकार समर्थित तंत्र की कमी पर भी चिंता व्यक्त की। स्टार्टअप्स को एकाउंटिंग की बेहतर पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।

  • कार्यान्वयन एजेंसी: 42 मंत्रालय/विभाग/निकाय स्टार्टअप से संबंधित विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की निगरानी कर रहे हैं। कमिटी ने कहा कि इससे समन्वय में कमी और योजना कार्यान्वयन में देरी होती है। कमिटी ने पूरे स्टार्टअप इकोसिस्टम की देखरेख और प्रबंधन के लिए एक कार्यान्वयन निकाय के निर्माण का सुझाव दिया। उसने रियल-टाइम से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र बनाने का भी सुझाव दिया।

  • रेगुलेटरी मदद: कमिटी ने कहा कि गैर-सूचीबद्ध भारतीय स्टार्टअप्स की प्रत्यक्ष विदेशी लिस्टिंग से संबंधित रेगुलेटरी/कानूनी फ्रेमवर्क को आसान बनाने से इकोसिस्टम को बढ़ावा मिल सकता है। कमिटी ने स्टार्टअप्स के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने का सुझाव भी दिया, साथ ही डीपीआईआईटी के साथ पंजीकरण के लिए पात्रता मानदंडों की व्यापक सूची को खत्म करने की बात कही।

  • इनकम टैक्स छूट: इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत अगर स्टार्टअप की सकल कुल आय में व्यवसायों से प्राप्त लाभ (प्रॉफिट) और प्राप्तियां (गेन्स) शामिल हैं, तो लगातार तीन वर्षों तक कुल आय की गणना करते समय इन लाभों में कटौती की जा सकती है। कमिटी ने कहा कि 2017 में प्रावधान लागू होने के बाद से केवल 10% स्टार्टअप ने छूट के लिए आवेदन किया। इसके अलावा, केवल 1% मान्यता प्राप्त स्टार्टअप को अंतर-मंत्रालयी बोर्ड से पात्रता का प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ है जो छूट का दावा करने की शर्तों में से एक है। कमिटी ने पात्रता प्रमाणपत्र जारी करने के मानदंडों में ढील देने का सुझाव दिया।

  • एंजेल टैक्स: इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अनुसार, स्टार्टअप पर 'एंजेल टैक्स' तब लगाया जाता है जब वे अपने उचित बाजार मूल्य से अधिक निवेश प्राप्त करते हैं। इसका उद्देश्य उच्च मूल्य पर शेयरों की सबस्क्राइबिंग से बेहिसाब धन कमाने और उसके उपयोग की प्रवृत्ति को रोकना है। कुछ अनिवासी निवेशकों और डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि डीपीआईआईटी को स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर एंजेल टैक्स से संबंधित प्रावधानों से जुड़ी अन्य चिंताओं को दूर करना चाहिए।

  • कृषि स्टार्टअप्स: भारतीय स्टार्टअप्स का सबसे बड़ा सेगमेंट इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी सेवाओं का है। कमिटी ने कहा कि कृषि केंद्रित स्टार्टअप्स में बहुत संभावनाएं हैं। हालांकि कुल स्टार्टअप्स में से केवल 5% को ही कृषि क्षेत्र के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है। कमिटी ने सुझाव दिया कि कृषि आधारित स्टार्टअप्स का अधिक वित्त पोषण किया जाए और उन्हें मार्गदर्शन प्रदान किया जाए।

  • सार्वजनिक खरीद: स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने में सार्वजनिक खरीद प्लेटफॉर्म्स महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। डीपीआईआईटी के साथ पंजीकृत 10% स्टार्टअप्स ने पिछले आठ वित्तीय वर्षों में सरकारी ई मार्केटप्लेस (जीईएम) पोर्टल पर 14,000 करोड़ रुपए का कारोबार किया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि स्टार्टअप्स के खरीद संबंधी फ्रेमवर्क की समय-समय पर समीक्षा की जाए। उसने कहा कि बड़ी निजी कंपनियों को भी स्टार्टअप्स से उत्पाद और सेवाएं खरीदने के लिए राजी किया जा सकता है। इसके लिए निजी क्षेत्र के लिए जीआईएम पोर्टल को खोला जा सकता है ताकि वे वस्तुओं और सेवाओं की खरीद कर सकें।

  • टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन: स्टार्टअप्स को टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कमिटी ने कहा कि टेस्टिंग प्रक्रिया कम समय लेने वाली, आसानी से नेविगेट करने योग्य और उद्योग के अनुकूल होनी चाहिए। उसने सुझाव दिया कि अंतरराष्ट्रीय पद्धतियों के अनुरूप डायनमिक टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन मानकों की स्थापना की जाए। उसने निम्नलिखित सुझाव भी दिए: (i) यह सुनिश्चित करना कि कुशल टेस्टिंग कर्मचारी पर्याप्त संख्या में हैं, (ii) टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना, और (iii) उत्पाद का सर्टिफिकेशन हासिल करने में स्टार्टअप्स के सामने आने वाली अनुपालन और वित्तीय रुकावटों को दूर करना।

  • बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकार: 2016-17 और 2022-23 के बीच स्टार्टअप्स की तरफ से दायर किए गए कुल पेटेंट आवेदनों में से केवल 11% को मंजूरी दी गई। कमिटी ने सुझाव दिया कि डीपीआईआईटी को कम संख्या में पेटेंट दिए जाने के कारणों की जांच की जानी चाहिए। उसने यह भी कहा गया है कि स्टार्टअप आईपी प्रक्रिया के बारे में नहीं जानते। उसने आईपी कानूनों और संबंधित प्रक्रियाओं के बारे में स्टार्टअप्स के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यशालाएं आयोजित करने का सुझाव दिया। 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (“पीआरएस”) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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