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बीमा क्षेत्र के प्रदर्शन की समीक्षा और रेगुलेशन

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • वित्त संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री जयंत सिन्हा) ने 6 फरवरी, 2024 को 'बीमा क्षेत्र के प्रदर्शन की समीक्षा और रेगुलेशन' पर अपनी रिपोर्ट पेश की। कमिटी के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
  • बीमा कवरेज: 2021-22 में भारत में बीमा पहुंच (जीडीपी में बीमा प्रीमियम का प्रतिशत) 4.2% थी जबकि विश्वस्तरीय औसत 7% था। इसी प्रकार भारत का बीमा घनत्व (जनसंख्या में प्रीमियम का अनुपात) 91 USD था, जो 874 USD के विश्वस्तरीय औसत से कम है। कमिटी ने कहा कि बीमा सुरक्षा और विविध बीमा उत्पादों की जरूरत और उनके लाभों के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है।
  • बीमा कारोबार के लिए कंपोजिट लाइसेंस: बीमा एक्ट, 1938 और भारतीय बीमा रेगुलेटरी विकास अथॉरिटी (इरडाई) के रेगुलेशन किसी एक संस्था को जीवन, सामान्य या स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने के लिए कंपोजिट लाइसेंस की अनुमति नहीं देते। कमिटी ने कहा कि कंपोजिट लाइसेंस देने से बीमाकर्ताओं की लागत और अनुपालन कम हो सकते हैं। इससे ग्राहक भी किसी एक बीमा प्रदाता से ऑल-इन-वन बीमा हासिल कर सकते हैं। कमिटी ने बीमा कंपनियों के लिए कंपोजिट लाइसेंसिंग का प्रावधान पेश करने और कानून में संबंधित संशोधन करने का सुझाव दिया।
  • स्वास्थ्य बीमा: कमिटी ने कहा कि देश में बहुत से लोग एक मेडिकल बिल चुकाकर, गरीबी की गर्त में गिर जाते हैं। उसने कहा कि सस्ते प्रीमियम और कैशलेस सेटलमेंट वाले बीमा उत्पादों से लोग स्वास्थ्य बीमा के लिए प्रोत्साहित होंगे। कमिटी ने सुझाव दिया कि आयुष्मान भारत में उन लोगों को भी शामिल किया जा सकता है, जोकि भुगतान के आधार पर इसका योजना का लाभ उठा सकें। उसने सुझाव भी दिया कि स्वास्थ्य और टर्म बीमा उत्पादों पर जीएसटी की मौजूदा 18% दर को कम किया जाए।
  • दावों का निपटान: कुछ निजी कंपनियां बीमा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के कारण प्रीमियम पर भारी छूट दे रही हैं। जब कंपनियों के पास प्रीमियम कम होने लगता है तो वे बड़े दावों के भुगतान में देरी करती हैं, या उन्हें नामंजूर करने लगती हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि ऐसे मामलों में भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए।  अगर सरकार इस क्षेत्र के लिए कोई नया कानून बनाने वाली है तो उसे इस समस्या को हल करने की कोशिश करनी चाहिए।
  • सूक्ष्म बीमा उत्पाद: सूक्ष्म बीमा उत्पाद किफायती उत्पाद पेश करके, निम्न आय वर्ग के लोगों को वित्तीय नुकसान से बचाता है। सूक्ष्म बीमा को बढ़ावा देने में कई किस्म की चुनौतियां हैं, जैसे: (i) लेनदेन की उच्च लागत, पर छोटा बीमा आकार, (ii) ऐसे बिजनेस मॉडल का अभाव, जो अच्छे इंटरमीडियरीज़ को आकर्षित कर सके, और (iii) बीमा कैसे काम करता है, इसकी जानकारी न होना। कमिटी ने सुझाव दिया कि नए सूक्ष्म बीमा उत्पादों को विकसित करने और किफायती दरों पर उपलब्ध कराने की जरूरत है। उसने सुझाव दिया कि 100 करोड़ रुपए की न्यूनतम पूंजी की शर्त को कम किया जाए ताकि छोटे और विशिष्ट बीमा प्रदाता प्रोत्साहित हो सकें।
  • सरकारी बीमा योजनाएं: केंद्र सरकार कई सूक्ष्म बीमा योजनाएं चला रही है। इनमें पीएम जीवन ज्योति बीमा योजना, पीएम सुरक्षा बीमा योजना और पीएम फसल बीमा योजना शामिल हैं। हालांकि इन योजनाओं के परिचालन में कई समस्याएं देखी गई हैं। पीएम फसल बीमा योजना में प्रीमियम की उच्च दरें और दावों के निपटान में देरी जैसी समस्याएं देखी गई हैं। 30 जून, 2023 तक योजना के तहत 2,761 करोड़ रुपए के दावे लंबित थे। कमिटी ने सुझाव दिया कि योजना के तहत प्रीमियम को किफायती बनाया जाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें।
  • सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियां: कमिटी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की चार सामान्य बीमा कंपनियों को 2016-17 और 2020-21 के बीच 26,000 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। स्वास्थ्य बीमा कारोबार में अधिक निवेश के कारण इन कंपनियों को जबरदस्त घाटा हुआ। पिछले कुछ वर्षों में इन कंपनियों में 17,000 करोड़ रुपए की पूंजी डाली गई है। इन बीमाकर्ताओं की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए कुछ अन्य उपाय भी किए गए, जैसे: (i) उन उत्पादों को खत्म करना, जिनमें घाटा था. (ii) रीटेल बिजनेस पोर्टफोलियो में सुधार करना, और (iii) मार्केटिंग में अधिक कर्मचारियों की भर्ती करना। कमिटी ने सुझाव दिया कि इन उपायों को लागू करने के लिए एक रणनीतिक रोडमैप तैयार किया जाना चाहिए। इन उपायों में वह समय सीमा भी शामिल होनी चाहिए जिनमें ये कंपनियां अपना प्रदर्शन सुधार सकें।
  • आपदा संभावित क्षेत्रों में संपत्ति बीमा: भारत विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त है, खासकर बाढ़ से। ऐसी आपदाएं इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचा सकती हैं, और कई घर भूकंप और बाढ़ को झेलने लायक, पर्याप्त रूप से सुरक्षित नहीं हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को प्राकृतिक आपदाओं की आशंका वाले क्षेत्रों में घरों और संपत्तियों का बीमा करने के विकल्प तलाशने चाहिए। इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनी को विशेष बीमा कारोबार स्थापित करने चाहिए जिसमें प्रीमियम रियायती दर पर हों। कमिटी ने प्रस्ताव दिया कि इरडाई इस मुद्दे की समीक्षा करे और नीतिगत सुझाव देने के लिए एक कार्य समूह बनाए।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (“पीआरएस”) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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